आटोगैस

आटोगैस (एलपीजी) एक स्वच्छ, हाई ऑक्टेन, प्रचुर मात्रा में उपलब्ध और पर्यावरण-अनुकूल ईंधन है। यह विखण्डन के द्वारा प्राकृतिक गैस से और रिफाइनरियों के द्वारा कच्चे तेल से प्राप्त किया जाता है। यह प्रोपेन और ब्युटेन जैसी पेट्रालियम गैसों का मिश्रण होता है। इस ईंधन में ऊर्जा की मात्रा अधिक होने से  कार्बन डाइ आक्साइड उत्सर्जन में काफी कमी आती है।

ऑटोगैस वायुमण्डलीय दबाव और सामान्य तापमान वाली गैस होती है, लेकिन इसे दबाव को कम करके या तापमान को पर्याप्त रूप से घटाकर द्रवित किया जा सकता है। इसकी यही विशेषता ईंधन को अनेक प्रकार के अनुप्रयोगों के लिए एक आदर्श ऊर्जा स्रोत बना देती है, क्योंकि इसका आसानी से संघनन, भण्डारण और इस्तेमाल किया जा सकता है। दबाव के छोड़े जाने पर द्रव्य, गैस के रूप में अपनी मात्रा को लगभग 250 गुना अधिक बना लेता है, इसलिए बड़ी मात्रा में ऊर्जा का भण्डारण और ठोस रूप में परिवहन किया जा सकता है।

ऑटोमोटिव ईंधन के रूप में एलपीजी के प्रयोग को 24 अप्रैल, 2000 से वैध बनाया गया है, बशर्ते ये निर्धारित सुरक्षा निबंधन और शर्तो के अधीन हो। अब तक विभिन्न शहरों में चल रहे हजारों एलपीजी वाहन घरेलू एलपीजी सिलेण्डरों का अवैध रूप से इस्तेमाल कर रहे थे जो बिलकुल भी सुरक्षित नहीं था। ऑटोमोबाईल में एलपजी सिलेण्डरों का प्रयोग आज भी अवैध है।

इंडियनऑयल द्वारा इस ईंधन का विपणन "ऑटोगैस" नामक ब्रांड के अंतर्गत किया जाता है। इंडियनऑयल ने भारत के 192 नगरों में 350 ऑटो एलपीजी वितरण केन्द्रों (एएलडीएस) की स्थापना की है।

संपूर्ण ईंधन चक्र द्वारा मापे जाने पर ऑटोगैस से अन्य किसी जीवाश्म ईंधन की तुलना में ग्रीनहाउस उत्सर्जन कम होता है। पेट्रोल के स्थान पर ऑटोगैस का इस्तेमाल करने से वाहन उत्सर्जन से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने में काफी मदद मिलती है।

पेट्रोल की तुलना में ऑटोगैस का इस्तेमाल करने से लगभग 35-40% की बचत होती है। ईंधन भराई में समय कम लगने तथा 35-40% की बचत किसी भी ग्राहक के लिए अपने वाहन को ऑटोगैस में परिवतिर्त करने के लिए पर्याप्त कारण है।